Wednesday, June 18, 2025

स्वाध्याय ..


स्वाध्याय का शाब्दिक अर्थ है स्वयं का अध्ययन करना। यह एक वृहद संकल्पना है जिसके अनेक अर्थ होते हैं। विभिन्न हिन्दू दर्शनों में स्वाध्याय एक नियम एक अनुशासन है। जीवन- निर्माण और सुधार संबंधी पुस्तकों का परमात्मा और मुक्ति की ओर ले जाने वाले ग्रंथों का अध्ययन, श्रवण, मनन, चिंतन आदि करना स्वाध्याय कहलाता है। आत्मचिंतन का नाम भी स्वाध्याय है। अपने बारे में जानना और अपने दोषों को देखना भी स्वाध्याय है। स्वाध्याय के बल से अनेक महापुरुषों के जीवन बदल गए हैं। शुद्ध, पवित्र और सुखी जीवन जीने के लिए सत्संग और स्वाध्याय दोनों आधार स्तंभ हैं। सत्संग से ही मनुष्य के अंदर स्वाध्याय की भावना जाग्रत होती है। स्वाध्याय का जीवन निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है। स्वाध्याय से व्यक्ति का जीवन, व्यवहार, सोच और स्वभाव बदलने लगता है। हमने क्या किया, हम क्या सोच रहे हैं, हमे क्या करना चाहिये, हम किससे डर रहे हैं आदि के बारे में आत्मचिंतन करना स्वाध्याय होता हे। बिना किसी गुरु के स्वयं अध्ययन करके कुछ सीखना स्वाध्याय होता हे।
● स्वाध्याय

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles